दोस्तों क्या आप जानते हैं करवा चौथ क्यों मनाया जाता है? शायद आप में से हर कोई करवा चौथ व्रत का नाम तो सुना ही होगा लेकिन हम यह गारंटी के साथ बता सकते हैं कि आप में से बहुत सारे लोगों को इस Karwa Chauth व्रत मनाने के कारण के बारे में पता ही नहीं है।
हर साल जब Karwa Chauth मनाने का समय आता है तब हर एक विवाहित स्त्री इस व्रत को रखते हैं। लेकिन कुछ लोग इस व्रत मनाने के समय उन लोगों को जरूर देखते हैं लेकिन इसका सटीक कारण जानने के लिए अक्सर प्रयास करने के बावजूद भी उन लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं होता है। इसी चीज को मध्य नजर रखते हुए आज हम इस लेख में करवा चौथ का व्रत कब है एवं करवा चौथ की कहानी हिंदी में क्या है के बारे में विस्तारित तरीके से आलोचना करने वाले हैं।
आशा करता हूं आप हमारे इस करवा चौथ वाले लेख को अंत तक अच्छी तरीके से पड़ेंगे एवं इस व्रत के बारे में भी जान जाएंगे। एवं दोस्तों इसके बाद अगर आप अपने दोस्तों के साथ भी इसको शेयर करेंगे तो वह लोग भी यह करवा चौथ का व्रत मनाने का सटीक कारण के बारे में जान पाएंगे।
करवा चौथ क्यों मनाया जाता है
असल में करवा चौथ का व्रत मनाने के पीछे हर एक स्त्री का सबसे बड़ा उद्देश्य है उनके स्वामी का दीर्घायु। एवं इतिहास के पौराणिक कथा के अनुसार इस करवा चौथ का व्रत के पीछे भी एक कहानी है जो आपको जानना बहुत ही आवश्यक है। क्योंकि यह जानने के बिना आप Karwa Chauth Vrat के ज्ञान अधूरा ही रह जाएगा। दोस्तों इस कहानी को जानने के बाद ही आपको पता चलेगा कि हमारे समाज में यह करवा चौथ का व्रत क्यों हर एक वैवाहिक स्त्री रखते हैं।
इसके पहले हम लोग जानते हैं कि करवा चौथ कब है।
करवा चौथ कब है
दोस्तों आप तो जानते ही होंगे कि हर साल करवा चौथ का व्रत आता है ओर यह करवा चौथ का व्रत कार्तिक महीने का शुक्ल पक्ष के चतुर्थी में होता है। इसी तिथि को मानते हुए इस 2024 साल में करवा चौथ का व्रत एक नवंबर 2024 में है। तो जो भी वैवाहिक स्त्री अपने स्वामी के दीर्घायु के लिए चौथ देवी के आराधना 1 नवंबर के दिन में ही करने वाला है।
चलिए यह सब कुछ जानने के बाद अभी हम लोग असली मुद्दे के बाद में आते हैं यानी कि करवा चौथ की कहानी हिंदी में बताते हैं, जिससे आपको पता चले की हर एक वैवाहिक स्त्री क्यों करवा चौथ का व्रत रखता है।
करवा चौथ का कहानी हिंदी में
आज से बहुत साल पहले भारत की एक गांव में एक साहूकार रहता था। जिसका साथ पुत्र एवं एक पुत्री थी एवं वह सातों पुत्र का पुत्र वधू भी था। यह सातों पुत्र का जो इकलौता बहन था वह भी वैवाहिक ही थी। इसी दौरान एक बार उन सातों भाइयों का बहन कार्तिक महीने में उनकी आप के घर कुछ दिन के लिए रहने आए। ठीक उसी समय कार्तिक महीने का शुक्ल पक्ष का चतुर्थी चल रहा था जो करवा चौथ के हिसाब से माना जाता है।
इस समय उसे सातों भाइयों का जो भी पत्नी थी वह सबके साथ वह बहन भी उसे कृष्ण पक्ष के चतुर्थी में करवा चौथ का व्रत रखा। लेकिन इसी दौरान इस हाथों भाइयों को बहुत ही भूख लगा था और ऐसा तो भाई चाहते थे कि उनके बहन भी उनके साथ खाना खाए। लेकिन उनकी बहन कभी भी यह नहीं चाहता था कि उसे चतुर्थी को बिना चांद के दर्शन करें ही वह कुछ खाना खाए।
तब उसे हाथों भाइयों में से कुछ भाई दूर एक पहाड़ी के चुरा में जाकर एक बड़ा सा दिया जला के आ गया उसके बाद उसकी बहन को बोला कि देखो बहन दूर है उसे पहाड़ी के छठी में हल्का सा चांद दिखाई दे रहा है। तब उसे चीज को देखकर ऐसा तो भाइयों का जो पहन थी वह बहुत ही खुश हो गया एवं वह अपनी सारे भाभियों को बोलकर मनी मां करवा चौथ का व्रत रख के भाइयों के साथ खाना खाने के लिए बैठ गया।
हालांकि इस समय हर एक भाइयों का पत्नी यानि कि उसे बहन की भाभी ने उनको मना किया है कि यह सारे उनके भाइयों का करतूत है। लेकिन वह बहन अपनी भाभी के बाद ना मानते हुए ही भाइयों के साथ खाना खाने के लिए बैठ गई। तभी इस बहन के ससुराल से खबर आया कि उनके पति का शरीर बहुत ही खराब हो गया है। इसी बात को सुनते ही ऐसा तो भाइयों के बहन दौड़ते हुए ससुराल में गए एवं जाने के बाद देखा कि उसकी पति मर चुकी थी एवं उसकी स्वामी को शासन में ले जाने के लिए तैयारी चल रहा है।
यह सब चीजों को देखकर बहुत ही डर गई थी एवं बाकी हर एक व्यक्ति को बोल रहा था कि उनका शासन में ना ले जाए। लेकिन गांव वाले उनके बात ना मानते हुए उसे स्त्री के साथ उसके पति को भी शासन में लेकर गया। और दोस्तों उसके बाद तो और एक रोमांचक घटना हुआ कि वह पत्नी अपने स्वामी को शासन में ले जाने के बावजूद भी आग लगाने नहीं दिया। तब गांव वालों ने सोचा कि क्यों नहीं यहां पर ही एक छोटा सा घर बनाकर इस लड़की को यहां पर छोड़कर चले जाते हैं।
और गांव वाले ऐसा ही करते हैं। लेकिन अगले दिन ही वह स्त्री अपने स्वामी को शशांक से उठाकर उसे घर में ले जाकर सुला देती है एवं एक साल तक देवी चौथ की व्रत रखती है। अंततः जब 1 साल पूरा होकर फिर से कार्तिक महीना आता है एवं उसे कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी में वह पूरे मन एवं ध्यान लगाकर अपना करवा चौथ का व्रत रखता है तब देवी चौथ उसे स्त्री के सामने आकर प्रकट होती है। इस वक्त उसे स्त्री के अनुरोध में देवी चौथ ने उसकी पति को फिर से जिंदा कर दिया और पूरे गांव में इसको लेकर एक खुशी का बड़ा सा अनुष्ठान भी रखा गया था।
ठीक इसी घटना के बाद ही हर एक वैवाहिक स्त्री हर 1 साल की कार्तिक महीने का कृष्ण पक्ष के चतुर्थी के दिन यह करवा चौथ का व्रत उनके स्वामी के दीर्घायु के लिए रखता है एवं चौथ देवी को पूजन भी करते हैं।
तो दोस्तों यह है करवा चौथ की कहानी जो हर एक वैवाहिक स्त्री को जानना बहुत ही आवश्यक है।
निष्कर्ष
तो दोस्तों जैसे कि आप देख रहे हैं आज हम इस लेख में आपके लिए विस्तारित तरीके से आलोचना किए हैं कि करवा चौथ क्यों मनाया जाता है एवं यह करवा चौथ कब है। आशा करता हूं आप में से जो भी हमारी इस लेख को अंत तक अच्छी तरीके से पड़े होंगे उसको करवा चौथ व्रत का कारण अच्छी तरीके से पता चल गया होगा। इसके अलावा आप इस करवा चौथ व्रत के संबंध और भी कुछ जानकारी चाहते हैं तो आप जरूर नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपना प्रश्न पूछे।
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