रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है | Rath Yatra Kyu Manaya Jata Hai

रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है: दोस्तों आप यह तो जानते ही होंगे कि हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष के दतिया में रथयात्रा होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं यह Rath Yatra कहा, कव एवं क्यों मनाया जाता है। इस प्रश्न का उत्तर बहुत सारे लोगों के पास है ही नहीं या फिर आज से पहले अगर आपको जानने की उत्सुकता तो आप कहीं से इसका सटीक उत्तर मिला नहीं होगा।

हालांकि आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में होने वाला रथ यात्रा के पीछे एक से अधिक ऐतिहासिक घटनाओं को माना जाता है, लेकिन उनमें से कौन सा घटना हमारे लिए जाना महत्वपूर्ण है वह ही असल बात है।

इसलिए आज हम लोग इस लेख में आपके लिए विस्तार से आलोचना करने वाले हैं की यह Rath Yatra Kab, Kyu abong Kis Liye Manaya Jata Hai.

रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है | Rath Yatra Kyu Manaya Jata Hai

रथयात्रा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष के दूध में मनाया जाने के पीछे जो सबसे बारा ऐतिहासिक कारण माना जाता है वह है: एक समय का एक राजा था जिसका नाम था “इंद्र दो मन” जो उनके पूरे परिवार समेत नीलांचल सागर नामक एक सागर के तट पर रहते थे। यह सागर अभी के टाइम पर उड़ीसा में ही है।

रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है | Rath Yatra Kyu Manaya Jata Hai
रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है | Rath Yatra Kyu Manaya Jata Hai

उस समय की ही बात है जब राजा इंद्र दो मन सागर के तट पर एक बार भ्रमण करने गए थे एवं उस समय उनको सागर में एक लकड़ी दिखाई दिया। उस समय ही राजा सोच लिया था कि उसे लकड़ी से वह एक भगवान का मूर्ति बनाएंगे और ऐसा सोचकर उन्होंने रोष लकड़ी को समुंदर से उठाया एवं उनकी राज्य के अंदर लेकर आया।

उसी समय भगवान विश्वकर्मा राजा इंद्र दो मन से अकेले में आकर मिला एवं उन्होंने बोला कि वह इस लकड़ी से राजा के मन में जो जगदीश की मूर्ति बनाने का इच्छा है वहीं बनाएंगे। उस समय ही भगवान विश्वकर्मा बुरे भराई के रूप में राजा इंद्र दो मन के राज दरबार में आए एवं उन्होंने राजा के सामने अकेले ही एक शर्त रखी कि वह इस लकड़ी को लेकर जगदीश का मूर्ति तो बनाएंगे लेकिन वह एक बंद घर में ही बनाएंगे।

और जब तक भगवान विश्वकर्मा पूरे भराई के रूप में यह मूर्ति ना बना लेते तब तक कोई भी उस घर में ना जाए। लेकिन इसी बीच जब का एक हफ्ता एक ही घर में बुरे बढ़ई जगदीश का मूर्ति बना रहे थे तब रानी ने सोचा है कि यह बुरे बराई कैसे एक घर में बिना कुछ खाए पिए इतना दिन रह सकता है। इसीलिए राजा उनकी रानी को लेकर उस घर के दरवाजे को खोल कर अंदर प्रवेश किया एवं देखा के अंदर कोई भी नहीं है सिवाय यह तीन मूर्ति के। जिसमें था जगन्नाथ, बलराम एवं सुभद्रा।

उस समय राजा एवं रानी बहुत ही दुखी हुआ क्योंकि उस घर में जाने के बाद उनको पूरे बराई के रूप में किसी को मिला ही नहीं लेकिन उसमें उन लोगों को एक आवाज सुनाई दिया कि जगन्नाथ, बलराम एवं सुभद्रा इसी रूप में ही रहना चाहते हैं इसीलिए ऐसा ही हुआ। उसके बाद ही राजा रानी एवं उनके सह परिवार मिलकर यह तीनों मूर्ति को वहां पर ही प्रतिष्ठित कर दिया। इस चीज को मद्देनजर रखते हुए ही रथ यात्रा का शुरुआत हुआ। तो यह भी है एक कारण, जिसको आप रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है कि उत्तर में मान सकते हो।

रथ यात्रा कब मनाया जाता है

हर साल रथ यात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष के द्वितीय में मनाया जाता है जो इस 2023 में 20 जून को है। एवं पिछले साल यह रथ यात्रा 23 जून को हुआ था। हालांकि यह तारीख हर साल बदलता ही रहता है, गीत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष के द्वितीय जिस तारीख में आता है उसे तारीख में ही हम लोग पूरे भारत में रथ यात्रा को मनाते हैं।

और दोस्तों यह Rath Yatra सिर्फ हमारे भारत में ही प्रसिद्ध दया नहीं है इसका कथा भारत के बाहर में भी बहुत सारे देशों में होता है, जिस वजह से बहुत सारे प्रतिबेशी राज्य के लोग रथ यात्रा के समय यानी कि आसार मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया के समय भारत में इस चीज को देखने के लिए आता है।

पूरी रथ का कुछ आश्चर्यजनक घटना

आप तो जानते ही होंगे कि भारत में पूरी का रथ सबसे बड़ा होता है जो हर सालासर मास के शुक्ल पक्ष के द्वितीय में मनाया जाता है। पुरी के मंदिर के सबसे आश्चर्यजनक घटना में से एक है कि पूरी का जो मंदिर है उसके ऊपर जो पताका लगा रहता है उसका टेल ना हमेशा वाइयों प्रभा के विरुद्ध ही होता है।

हर साल रथ यात्रा के समय पूरी में जो खाना पकता है उस खाना पकाने के समय जो मिट्टी का बर्तन है वह एक के ऊपर एक रख के कुल चार पांच बर्तन को रख के चूल्हे के ऊपर बैठाना होता है। लेकिन सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि हमेशा ही जो ऊपर वाला बर्तन है उसका खाना ही सबसे पहले पकता है।

उसके बाद पुरी के रथ यात्रा के समय के बाद में जब पूरी का प्रसाद बनता है तो यह अन्य कई भी प्रसाद के तुलना में बहुत समय तक रहता है जो गंगा की जल से ही बनता है।

FAQs

भारत में सबसे बड़ा रथ यात्रा कहां होता है?

भारत मैं सबसे बड़ा रथ यात्रा उड़ीसा के पूरी में होता है।

रथ यात्रा का अर्थ क्या है?

ऐतिहासिक कहानियों के अनुसार रथ यात्रा होता है क्योंकि भगवान जगन्नाथ, बलराम, सुभद्रा रात में बैठकर उनके जनता के हाल के बारे में जानते हैं।

पुरी रथ यात्रा में कितने रथ भाग लेते हैं?

उड़ीसा के पुरी रथ यात्रा में कुल 3 रथ होते हैं।

रथ यात्रा में कौन सा भगवान है?

हालांकि रथ यात्रा में 3 भगवान ही रहते हैं लेकिन उनमें से सबसे प्रसिद्ध भगवान के तौर पर भगवान श्री कृष्ण यानी कि जगन्नाथ को ही मानते हैं।

रथ यात्रा के पीछे की कहानी क्या है?

रथ यात्रा की पीछे पूरे कहानी को जानने के लिए हमारे इस लेख को अच्छी तरीके से पढ़ सकते हैं।

निष्कर्ष

तो दोस्तों जैसे कि आप देख रहे हैं आज हम ऐसे लेख में रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है एवं हर साल कौन से समय यह रथ यात्रा होता है, को लेकर विस्तारित आलोचना किए हैं। आशा करता हूं आप में से जो भी हमारे इस लेख को अंत तक पढ़े हैं उनको रथ यात्रा के संबंधित हर कुछ जानने में कोई दुविधा नहीं होगा।

by Suman Sahu
सुमन साहू जिसका उम्र 30 साल है, एक अनुभवी ब्लॉगर के साथ-साथ एक अनुभव भी उद्योग भी है। सुमन जी अपना ग्रेजुएशन न.आइ.टि अगरतला से एक इंजीनियर के डिग्री लेकर किया है। उसके बाद उन्होंने अपने जीवन को पूरी तरीके से एक ब्लॉगर के तौर पर मानते हुए यह GovtsYojana.in वेबसाइट में काम करने के साथ-साथ और भी तीन वेबसाइट में काम करता है। इसके साथ-साथ सुमन साहू जी एक फ्रीलांसर भी है जो फाइबर एवं आप क जैसे प्लेटफार्म में काम भी करता है। सुमन जी हमेशा से ही एक अच्छे दिल के इंसान है जो हर वक्त दूसरे के समस्याओं को अपना समस्या मांगते हुए समाधान करने का प्रयास करते हैं। इस चीज को लेकर ही वह यह गवर्नमेंट योजना वाले वेबसाइट में हर तरीके का लेख लेकर लोगों को उसके समस्या के समाधान को लेकर आलोचना करते हैं।

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